ग्रेजुएशन के दोस्त, 25 साल का याराना, पार्ट-1
साल 1989 का वो दिन जब B.A. (Hons.) Geography की लिस्ट आनी थी... 12वीं पास करके एक ऐसी दुनियां में कदम रखने जा रहे थे, जहां से दुनिया का नया फलक खुलने वाला था... तस्वीर में कनीज़ की दबंगई दिखती है 12 में हमने माज़िद हुसैन की लिखी हुई हिंदी में भूगोल की किताब पढ़ी और वही टीचर जामिया में हमारे सामने थे... सोचो हमारी खुशी का ठिकाना क्या रहा होगा...? उस वक्त जामिया में ग्रेजुएशन में एडमिशन के लिए इंटरव्यू से गुजरना होता था... (हो सकता है आज भी गुजरना होता हो) शायद इसलिए ही हमारा एडमिशन जामिया में हो भी गया... क्योंकि हमारे अंदर टेलेंट तो कूट-कूटकर भरा हुआ था... गिरि समेत हमारे सभी दोस्तों का पहली ही लिस्ट में नंबर आ गया... टेलेंट होने के बावजूद मेरा नंबर वेटिंग लिस्ट में ही था... क्योकि डेस्टिनी को कुछ और ही मंजूर था... मेरा भी एडमिशन ज्योग्राफी में ही हो गया... साल 1989... क्लास में तरह-तरह के सर्वे... प्रेक्टिकल.... मैप... और ना जाने क्या-क्या... 25 साल पहले ऐसा नहीं था गिरि इसी बीच class representative यानी सीआर का इलेक्शन हुआ... हमारे घनश्याम मिश्रा जी सीआर चुने गए...