और पानी हो गया सरप्लस ....

जहां खेतों में अब खुशहाली है
और पानी हो गया सरप्लस ....

(वादे के मुताबिक मैं आपके सामने एक ऐसी हक़ीक़त लेकर पहुंचा हूं...जिससे अगर प्रेरणा ले ली जाए तो देश की पानी की समस्या को कम बेशक न किया जा सके लेकिन नियंत्रण में जरुर किया जा सकता है।)




क्या किसी की सजा किसी के लिए वरदान हो सकती है ?...बिल्कुल ऐसा हुआ है...कहां मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में...मामला शुरु होता है एक आईपीएस अधिकारी राजेश गुप्ता की पनिशमेंट पोस्टिंग से...जिन्हें ग्राम पंचायत का सीईओ बना दिया गया...अब राजेश गुप्ता जो कि आईआईटी से ग्रेजुएट हैं...पुलिस में नौकरी करने की काबलियत और किसी भी परिस्थिति में अच्छा काम कर जाने के जज़्बे ने खंडवा जिले की तक़दीर बदल कर रख दी...अपनी इस पोस्टिंग में राजेश गुप्ता ने ऐसा कारनामा कर दिखाया जिसकी मिसाल मिलना आज के दौर में बिल्कुल भी आसान नहीं रह गया है। 


सन 1999 के आसपास खंडवा जिले में खतरनाक सूखा पड़ा...नदी...तालाब...कुएं सभी सूख गए...पानी पीने के लिए नहीं बचा...तो फिर खेती के लिए पानी की बात करना ही बेमानी था...लोग खंडवा छोड़कर पानी वाली जगह पलायन करने लगे...इस तरह के निराशजनक माहौल में राजेश गुप्ता ने डूबते जिले की कमान संभाली...स्थानीय लोगों को साथ लेकर, अपनी इंजीनियरिंग बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए खंडवा जैसे पठारी इलाके में बरसात के पानी की एक-एक बूंद को रोकने का प्लान बनाया। 

जैसा कि इस तरह के काम की शुरुआत में कहीं भी होता है वही यहां भी हुआ ...चारों तरफ से केवल और केवल हतोउत्साहित करने की ही बाते होने लगी...ये बिल्कुल वैसा ही काम था जैसा भगीरथ की कथा में गंगा को ज़मीन पर उतारने की कथा में मिलता है। एक सच्चाई ये भी है कि भगीरथ को तो किसने देखा लेकिन राजेश गुप्ता को तो सबने देखा...फिर भी उत्साह देने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा था...लेकिन प्रवाह के विरुद्ध काम करने की लगन ने खंडवा के इस भगीरथ को तनिक भी विचलित नहीं किया... 

खंडवा के पठारों में छोटे-छोटे गड्डे खोदने का काम किया जाने लगा...जिसे स्थानीय बोली में कुंडियां कहा गया। और राजेश गुप्ता ने जिसे पानी की जेल कहा। जिसमें पानी को क़ैद करने की योजना बनाई गई...इसी तरह बरसात के बहते हुए पानी के रास्तों में केएचएस (KHS)यानी खंडवा हाईड्रोलिक स्ट्रक्चर का निर्माण कराया जाने लगा...इस बीच साथ काम करने वाले लोगों का धैर्य जवाब भी देने लगा...क्योंकि कुंडियां...केएचएस बनाने में तक़रीबन 3-4 साल का गाढ़ा वक्त जो लग गया। लोग अपने ही द्वारा किए गए काम पर शंका करने लगे...लेकिन राजेश गुप्ता मानों पूरी तरह से आश्वस्त थे...अपने पर पूरा भरोसा...अपने काम पर पूरा यक़ीन....

इन तीन-चार सालों में कुंडिया और केएचएस बनाने के चक्कर में गांव का एक एक आदमी और किसान पानी बचाने के एक एक उपाय को इतनी अच्छी तरह समझ चुका था कि उसे अब राजेश गुप्ता की जरुरत नहीं थी...यानी राजेश गुप्ता ने गांववालों को आत्मनिर्भर जो बना दिया था। एक-एक आदमी को वॉटर हार्वेस्टिंग का एक्पर्ट बना दिया था। हमें कई गांव वाले ऐसे भी मिले जिन्हें अक्षर ज्ञान नहीं था लेकिन बात वो ऐसे करता था कि मानो वो कोई एक्पर्ट हो।  

धीरे-धीरे वो दिन भी आया जब काम पूरा होने को था...काम अभी पूरा भी नहीं हुआ था कि प्री मॉनसून एक बरसात हुई...जिसमें 4 साल में मेहनत करके बनाए गए सभी स्ट्रक्चर्स ने पानी अपने अंदर सोख लिया...पानी अब ज़मीन के अंदर क़ैद हो चुका था, पानी के सभी स्रोतों को भर दिया...और फिर मुश्किल से दो बारिश और हुई और खंडवा में पानी सरप्लस हो गया। अब खंडवा के पास इतना पानी था कि वो अपने पड़ोस के जिलों को भी पानी देने की स्थिति में आ गया।  


आज खंडवा में किसान वो फसल भी अपने खतों में लगा रहे हैं जिन्हें पानी की कमी के चलते कभी इतिहात में नहीं लगाया गया था। अरबी जैसी फसल अब खंडवा में आम बात हो गई है। यहां पानी को रोकने की कीमत महज 5 पैसे प्रति 1000 लीटर आ रही है। इसलिए खंडवा के इस मॉडल को खंडवा जैसे रॉक स्ट्रक्चर वाले इलाकों में बेधड़क अपनाया जा सकता है। बड़े-बड़े बांधों की बजाए इस तरह के उपायों को क्यों नहीं अपनाया जाना चाहिए...? इसके चाहिए तो केवल राजनीतिक इच्छा शक्ति...और कुछ नहीं...उदाहरण पेश कर दिया एक आईपीएस ने अब बारी किसकी है...


जल क्रांति के बाद शासन ने राजेश गुप्ता को  फिर से प्रमोशन देकर वापस पुलिस सेवा में बुला लिया...कुछ दिन राजेश गुप्ता की पोस्टिंग मुरैना में रही...आजकल उनकी पोस्टिंग कहां है मुझे इसकी जानकारी नहीं है। वो जहां भी हों उनकी लंबी उम्र की कामना हमेशा रहेगी...


मुझे श्री राजेश गुप्ता ने व्यक्तिगत तौर बेहद प्रभावित किया है।


"कोई भी काम शुरुआत में छोटा ही होता है"
                                                               -राजेश गुप्ता,आईपीएस








फोटो सभार:एपी


Comments

  1. प्रेरणा दाई पोस्ट जारी रहें

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  2. Beautiful! We have the second largest population... only the will is required!

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  3. well come sir in the world of blogging ....ths is really nice post ...ye shuruaat shubh hai desh ke hriday pradesh se aapne blog shuru kiya jandar shandar ......

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  4. Kya baat hai Shambhunaath ji? Aa ke blog ki sabhi rachnaayen ek se badh ker ek hain. Ye kahani bahut hi positive energy deti hain logon ko.. Maine apne kai mitron ko ise padhne ka link bheja tha, sab ne bahut tareef ki. Jor daar badhaayee.

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