'दोस्ती के 25 साल... और परिवार बढ़ता गया'

दोस्ती के 25 साल
Silver Jubilee Year 1990-2015

दोस्ती का आध्यात्मिक गोंद
जामिया मिल्लिया इस्लामिया का वो 1990 का साल,  जो बन गया ऐतिहासिक... हम दोस्तों के बीच सद्भावना एक ऐसा कैमिकल, एक ऐसा रसायन बना हुआ है,  जो प्रत्येक एनएसएस वॉलियंटर्स के अंदर बहता है कुछ कर गुजरने के लिए, जिसने इस कैमिकल के तत्वों को आत्मसात किया, जिसने इस कैमिकल की प्रॉपर्टी को दोस्ती के रंग को निखारने के लिए इस्तेमाल किया,  वो आज 25 साल बाद भी एक हैं, उस दोस्ती का रंग और भी गाढ़ा होता जा रहा है,  और जिसने इस कैमिकल की अहमियत को नहीं समझा या नकारा या फिर नजरअंदाज किया, वो छिटक गया,  दूर हो गया... अब मैं उस स्पेशल कैमिकल की कुछ प्रॉपर्टीज़ (गुण) का जिक्र यहां करना चहता हूं... जिनसे मिलकर ये 25 साल बनते हैं।
जो क़दम एक बार चल पड़े फिर रुके नहींं
श्री राजेश कुमार- उसी प्रॉपर्टीज़ का अहम हिस्सा- जिनके बिना कोई भी प्रैक्टिकल कामयाब हो ही नहीं सकता था, बल्कि आज की तारीख में भी कामयाबी की गारंटी बना हुआ है। राजेश जी की वही प्रॉपर्टी  जिन्होंने अपने नाम के आगे कभी किसी जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया, जिन्होंने कभी जाति-धर्म को समाज सेवा या समुदाय सेवा में आड़े नहीं आने दिया, जिनका अनुशासन, जिनका प्रेम इन 25 सालों में कभी भी कम नहीं हुआ, बल्कि श्री राजेश की प्रबंधन कला किसी अडेसिव से कम नहीं रही, सभी को साथ जोड़कर चलने की कला, यदि किसी को सीखनी हो, तो उसके सामने हम राजेश जी के नाम की ही सिफारिश करेंगे... और वो बेहतरीन उदाहरण हैं। 
किसी परिस्थिति में मस्ती फुल 
हालांकि मैंने इस मंच को विज्ञान की उन बातों का जिक्र करने के लिए बनाया था, जिनसे भारत देश को विकास की असीम उंचाइयों पर ले जाया सके... मैं हमारी दोस्ती के 25वें साल में ये लिबर्टी ले रहा हूं...  क्योंकि दोस्ती को बरकरार रखना भी तो किसी विज्ञान से कम थोड़ी है... यानी दोस्ती का विज्ञान...


फिर से मैं सिल्वर जुबली के जिक्र पर आता हूं... 
इन 25 सालों में राजेश जी हम सभी के बीच ऐसी धुरी बनकर रहे हैं, जो सभी को अपने आकर्षण में बांधकर चलने में शत प्रतिशत कामयाब थे और आज भी हैं... 

नेशनल सर्विस स्कीम यानी NSS, का हमारा सिलसिला 1990 से शुरू होता है, जामिया के ही कैंपस में एक NIC कैंप लगा, जिसमें हमारे कई दोस्त हिस्सा लेना चाहते थे, लेकिन सभी को तो मौका मिलने से रहा, जिसको मिला वही खुद को खुशनसीब मानता रहा... जिनको मौका नहीं मिला, वो आने वाले सालों में मौके की तलाश में रहा... देर सबेर सभी को मौका मिलता गया और ये सिलसिला चल पड़ा... कब एक साल बीता, दो साल बीता, तीन साल बीता... और कब 25वें साल तक आ पहुंचे, पता ही नहीं चला... यही है दोस्ती की कशिश...

कैंप की मस्ती, यहां हर कोई गायक होता था
ये तस्वीरें हमारी दोस्ती के 25 सालों की वो धरोहर हैं, जिन्हें शब्दों में समेटना वाकई में बहुत मुश्किल हो रहा है, कोशिश लगातार जारी है, कभी-कभी तो लगने लगता है कि इस टॉपिक पर तो पूरा उपन्यास ही लिखा जा सकता है...





राजेश कुमार और मोहसिन
ये दो दोस्त हैं-एक काला तो दूसरा गोरा

राजेश कुमार और शंभुनाथ

साल-दर-साल बीतते गए 
NSS एक ऐसा मंच रहा है- जहां लड़ाइयां तो बहुत हुुई लेकिन मन में कभी भी कड़वाहट नहीं आई... जब कभी ऐसा होने भी लगा तो श्री चंद्रशेखर, जो हमारे बीच हमेशा बड़े भाई की भूमिका निभाते रहे हैं- उन्होंने आगे आकर फिर सभी कुछ निर्मल कर दिया... वाह शेखर भाई, वाह 


शेखर भाई के विवाह का दुर्लभ चित्र
1991 में उत्तर काशी में बड़ा ही भारी भूकंप आया थातब हम सभी को करीब आने का मौका मिला था. राहत सामग्री बांटने के बाद जब हमारी वापसी हो रही थीतब शंभु और गिरि ने ये फोटो वहीं घूम रहे कैमरामैन से खिंचवाई थी
शेखर भाई जहां विद्वता में काफी उंचाई रखते हैं, वहीं हल्की बातें भी बखूबी कर लेते हैं...यानी आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन का का अद्भुत संगम हैें हमारे शेखर भाई...
इन 25 सालों में इनके विवाह के बाद दो बच्चे हैं, जो अब हम सभी दोस्तों में सबसे बड़े हैं... यानी आगे की जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार होती पीढ़ी









भूकंप, बाढ़, हिंसा...
कहीं भी कोई काम करने में पीछे नहीं रहता था, बल्कि प्रतिस्पर्धा इसी बात की होती थी कि कौन बेहतर करके दिखाएगा....


जारी...

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