क्या कोई वैज्ञानिक चांद पर जाएगा ?

क्या एक दिन भारत के रॉकेट में बैठकर कोई वैज्ञानिक चांद पर जाएगा। जी हां...इसरो जिस तरह की तैयारी कर रहा...उससे तो यहा लगता है कि आने वाले सात साल में ही भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिक चांद की जंमीन को छू लेंगे।

भारत में बने भारत के बनाए एक रॉकेट में बैठकर एक भारतीय चांद पर जाएगा। फिलहाल ये एक सपना लगता है...लेकिन इसरो की माने तो वो दिन दूर नहीं जब ये सपना हक़ीकत बन जाएगा। सात साल में ये सपना पूरा हो सकता है।  बिल्कुल ये सपना सात साल बाद पूरा हो सकता है। इसरो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने की तैयारी में जुटा है। लेकिन सरकार से अभई इसके लिए मंजूरी नहीं मिली है। इसरो इस बात के लिए आश्वस्त है कि अगले दो महीने के भीतर ये काम भई हो जाएगा। लेकिन चांद पर अंतरिक्ष यात्री भेजना कोई आसन काम भई नहीं है। क्योंकि इसके लिए एक मोटी रक़म की जरुरत होगी। ये योजना 12 हज़ार 400 करोड़ रुपये की है। जिसमें पहला चरण छओटा होगा। अब 12 हज़ार 400 करोड़ की रक़म कोई छोटी रकडम तो होती नहीं है। और इस पर सवाल न उठे...ऐसा हो नहीं सकता। सवाल ये भी उठ सकता है कि क्या भारत जैसे देश को इतना बड़ा खर्च करने की कोई जरुरत भी है।

ऐसे में सवाल सवाल ये भी उठता है कि यदि हमने 46 साल पहले अंतरिक्ष कार्यक्रम को चालू नहीं किया होता तो हम आज दुनिया में कहां खड़े होते। वैसे इसरो के इतिहास को देखा जाए तो ये कहीं से भी नहीं लगता कि उसने 46 साल बाद देश को कुछ कम दिया है। आज भारत अंतरिक्ष विकास के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है तो वो बेशक इसरो के वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत की वजह से। अब सवाल तो यही उठाता है कि सरकार के पास इसरो की योजनाओं के लिए इतना पैसा होगा ? शायद एक या दो महीने में इन सवालों के जवाब मिल जाएंगे।

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